Guru Vakri 2025 date: ज्योतिष शास्त्र में गुरु को शुभ और बड़ा ग्रह माना गया है. गुरु जब भी राशि परिवर्तन करते हैं या वक्री (retrograde) होते हैं, तो यह घटना समस्त राशियों पर गहरा प्रभाव डालती है. इस वर्ष देवगुरु बृहस्पति अतिचारी होकर अपनी उच्च राशि कर्क में हैं.
18 अक्टूबर को गुरु मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश कर चुके थे और अब 11 नवंबर 2025 की रात 10:11 बजे से वक्री होने जा रहे हैं.
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार गुरु 05 दिसंबर तक कर्क राशि में वक्री रहेंगे और उसके बाद मिथुन राशि में वक्री अवस्था में प्रवेश करेंगे. यह स्थिति 11 मार्च 2026 तक रहेगी जब सुबह 9:00 बजे गुरु मार्गी होकर अपनी सीधी चाल से चलने लगेंगे.
गुरु की अतिचारी चाल क्या होती है
डॉ. अनीष व्यास के अनुसार, वैदिक ज्योतिष में “अतिचारी चाल” का अर्थ होता है ग्रह का सामान्य गति से बहुत तेज गति से चलना. सामान्यतः गुरु एक राशि में 12–13 महीने तक रहते हैं, लेकिन अतिचारी होने पर वे जल्दी राशि परिवर्तन करते हैं. इस चाल का सीधा प्रभाव करियर, शिक्षा, वैवाहिक जीवन, धन और भाग्य पर पड़ता है. अतिचारी गुरु के प्रभाव शीघ्र दिखाई देते हैं.
साल 2025 में गुरु 3 बार बदलेंगे चाल
डॉ. व्यास ने बताया कि साल 2025 में बृहस्पति तीन बार चाल बदलेंगे-
- 14 मई 2025 को अतिचारी चाल से मिथुन राशि में प्रवेश,
- 11 नवंबर 2025 को वक्री चाल से कर्क राशि में,
- 5 दिसंबर 2025 को वक्री अवस्था में पुनः मिथुन राशि में प्रवेश.
इस वर्ष गुरु की चाल में यह तीव्र परिवर्तन कई राशियों के लिए सौभाग्य और समृद्धि के नए अवसर लेकर आएगा. विशेषकर मेष, सिंह, कन्या, तुला, कुंभ और मीन राशि वालों को लाभदायक परिणाम मिलेंगे.
बृहस्पति ग्रह का महत्व
ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति को देवगुरु, ज्ञान और धर्म के अधिष्ठाता कहा गया है. यह करियर, शिक्षा, संतान, धन, वैवाहिक जीवन और भाग्य के कारक ग्रह हैं.
बृहस्पति सामान्यतः मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन लग्न वालों के लिए शुभ फलदायक ग्रह माना जाता है, जबकि वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ लग्न के लिए यह अकारक या कम प्रभावी ग्रह होता है.
फलित ज्योतिष में वक्री गुरु का अर्थ
डॉ. व्यास के अनुसार, किसी भी ग्रह का वक्री होना यानी अपनी दिशा बदलकर पीछे लौटना है. यह आत्ममंथन और गहराई से सोचने का समय होता है. गुरु का वक्री होना इस बात का संकेत है कि विचारों और जीवन दिशा में परिवर्तन आएगा.
गुरु के वक्री होने से समाज में धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं.
वक्री गुरु का विश्व और देश पर प्रभाव
ज्योतिषीय दृष्टि से वक्री गुरु के समय
- शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा.
- शिक्षा और समाज सुधार से जुड़े कार्यों में तेजी आएगी.
- राजनीति में बड़े परिवर्तन संभव हैं.
- प्राकृतिक घटनाएं जैसे भारी वर्षा, भूकंप, तूफान, भूस्खलन की संभावना.
- स्वास्थ्य संकट और संक्रमण बढ़ सकता है.
- रोजगार और आर्थिक अवसर बढ़ेंगे.
गुरु को प्रसन्न करने के उपाय
डॉ. व्यास ने बताया कि वक्री गुरु के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए ये उपाय करें —
- प्रतिदिन “ॐ भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का एक माला जाप करें.
- गुरुवार को पीले वस्त्र, दाल, हल्दी, बेसन के लड्डू दान करें.
- केले के वृक्ष पर जल चढ़ाएं.
- नियमित रूप से राम रक्षा स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें.
- हनुमान जी को पान और बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं.
- भगवान विष्णु और माता दुर्गा की आराधना करें.
12 राशियों पर गुरु वक्री का प्रभाव
मेष राशि: धार्मिक और मांगलिक कार्यों में धन व्यय होगा. विवाह के प्रबल योग बनेंगे.
वृषभ राशि: आर्थिक लाभ और व्यापार में उन्नति के योग. नई योजनाओं से लाभ मिलेगा.
मिथुन राशि: नौकरी और प्रमोशन के योग. समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा.
कर्क राशि: शुभ समय, बड़े लोगों की कृपा से भाग्योदय के अवसर.
सिंह राशि: शिक्षा और शोध में सफलता, आय-व्यय का संतुलन बना रहेगा.
कन्या राशि: विवाह और पारिवारिक मांगलिक कार्यों के योग. व्यापार में तरक्की.
तुला राशि: रोग, ऋण और शत्रु से सावधान रहें. निवेश सोच-समझकर करें.
वृश्चिक राशि: संतान और मित्रों का सहयोग मिलेगा. चयन और सफलता के योग.
धनु राशि: मकान, वाहन संबंधी कार्यों में सफलता, सामाजिक मान-सम्मान बढ़ेगा.
मकर राशि: व्यर्थ की भागदौड़ से बचें. धार्मिक और पारिवारिक कार्यों में रुचि.
कुंभ राशि: धन योग प्रबल, नई आर्थिक योजनाएं बनेंगी.
मीन राशि: मान-सम्मान और पारिवारिक सौख्य बढ़ेगा. शुभ कार्य संपन्न होंगे.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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