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    क्या है DPDP नियम 2025! आपकी डिजिटल प्राइवेसी पर सरकार का सबसे बड़ा कानून, जानिए क्या-क्या बदलने वाला है

    2 weeks ago

    DPDP Rules 2025: भारत सरकार ने 14 नवंबर को Digital Personal Data Protection Rules 2025 (DPDP Rules 2025) को आधिकारिक रूप से जारी कर दिया. इन नियमों का मकसद देश के नागरिकों को अपने डिजिटल डेटा पर पूरा नियंत्रण देना और ऑनलाइन दुनिया में बढ़ते प्राइवेसी खतरों से सुरक्षित रखना है. सरकार ने यह नियम Digital Personal Data Protection Act 2023 के तहत बनाए हैं और अगले 12–18 महीनों में इन्हें चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा.

    DPDP Rules 2025 में क्या-क्या शामिल है?

    नए नियमों का सबसे बड़ा फोकस है डेटा का सुरक्षित इस्तेमाल, क्लियर नोटिस, और कंसेंट पर पूरा नियंत्रण. इन नियमों में कई महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़े गए हैं.

    कंसेंट मैनेजर का रजिस्ट्रेशन: हर संस्था को ऐसे मैनेजर रखने होंगे जो यूज़र कंसेंट की निगरानी करेंगे.

    डेटा प्रोसेसिंग से पहले नोटिस: कंपनियां यूज़र को साफ भाषा में बताएंगी कि वे कौन सा डेटा ले रही हैं क्यों ले रही हैं और उसका इस्तेमाल कैसे होगा.

    डेटा सुरक्षा के कड़े मानक: एन्क्रिप्शन, फायरवॉल, सिक्योरिटी प्रोटोकॉल जैसे उपाय अनिवार्य होंगे.

    डेटा ब्रीच की जानकारी तुरंत देना: किसी भी डेटा लीक की स्थिति में संबंधित यूज़र को तुरंत साफ शब्दों में जानकारी देनी होगी.

    डेटा स्टोरेज की समय-सीमा: किसी भी डेटा को एक साल से ज्यादा स्टोर नहीं किया जा सकेगा जब तक कि कानूनी तौर पर आवश्यक न हो.

    डेटा डिलीट नोटिस: डेटा हटाने से 48 घंटे पहले यूज़र को जानकारी देना अनिवार्य है.

    माइनर्स और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए विशेष नियम: 18 साल से कम उम्र के बच्चों और विकलांग व्यक्तियों का डेटा प्रोसेस करने से पहले उनके अभिभावक की सत्यापित सहमति लेनी होगी. ये नियम स्पैम कॉल, नंबर लीक, अनधिकृत एक्सेस और डेटा चोरी जैसी समस्याओं पर काफी हद तक रोक लगाने में मदद करेंगे.

    विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

    कानूनी और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ये नियम भारत को वैश्विक डेटा प्रोटेक्शन मानकों के करीब ले जाएंगे. विशेषज्ञों के अनुसार, अगले 18 महीनों में कंपनियों को प्राइवेसी नोटिस, यूज़र कंसेंट, डेटा ट्रांसफर और सिक्योरिटी को लेकर अपनी प्रक्रियाओं में बड़े बदलाव करने होंगे. बच्चों के डेटा की सुरक्षा को लेकर कंपनियों पर और अधिक जिम्मेदारी तय की गई है. कुछ सेवाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और चाइल्ड सेफ्टी को इससे छूट भी दी गई है ताकि आवश्यक सेवाएं बाधित न हों.

    क्या है पेनल्टी सिस्टम?

    उल्लंघन की स्थिति में Data Protection Board बनाई जाएगी जो जुर्माने तय करेगी. डेटा उल्लंघन पर प्रति केस 250 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. छोटे व्यवसायों को राहत देने के लिए यह जुर्माना ग्रेडेड यानी स्थिति के अनुसार तय किया जाएगा.

    2017 में सुप्रीम कोर्ट ने राइट टू प्राइवेसी को मौलिक अधिकार घोषित किया था. इसके बाद 2023 में डेटा प्रोटेक्शन कानून आया, जिसमें नागरिक को अपने डेटा को सुधारने, हटाने और नियंत्रित करने का अधिकार मिला. नए नियम इस पूरे ढांचे को और मजबूत करते हैं और सरकार, न्यायालय, कानूनी जांच, विदेशी अनुबंध, फाइनेंशियल डिफॉल्ट जैसी स्थितियों में कुछ प्रावधानों को अपवाद के तहत रखते हैं.

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