Gemology: रत्न और मणि सदियों से व्यक्तियों के लिए आकर्षण का विषय रहे हैं. लेकिन किसी भी रत्न को केवल आकर्षित होकर धारण नहीं करना चाहिए. क्योंकि किस व्यक्ति के लिए कौन सा रत्न सही है, इसे ढूंढने के लिए रत्न विज्ञान और ज्योतिष दोनों का ज्ञान होना जरूरी है. इसलिए आप किसी ज्योतिषी की सलाह से ही रत्न धारण करें.
रत्नों का संबंध ग्रह से होता है. इनमें अद्भुत सकारात्मत ऊर्जा और चमत्कारिक गुण होते हैं. धारण करने के बाद रत्न हमेशा व्यक्ति के संपर्क में रहता है, जिससे बुरी ऊर्जा को अवशोषित कर जीवन में लाभकारी परिणाम प्रदान करता है.
बाजार से हम कई तरह वस्तुओं की खरीदारी करते हैं, जिनमें समाप्ति तिथि (Expiery Date) होती है. लेकिन रत्नों की कोई समाप्ति तिथि नहीं होती. हालांकि समय के साथ रत्नों में कुछ बदलाव जरूर आते हैं. इसलिए अगर आपको ऐसा महसूस हो कि लंबे समय से धारण किए रत्नों का अब लाभ नहीं मिल रहा है तो इसे रीस्टार्ट (Restart) करने की जरूर है.
कई लोग वर्षों तक रत्न धारण करते हैं, लेकिन समय बीतने पर उसका असर कम महसूस होने लगता है. इस स्थिति में रत्न को री-स्टार्ट या रत्न की पुनः शुद्धि जरूरी है. आइए जानते हैं कि लंबे समय से पहने गए रत्न को फिर से प्रभावशाली कैसे बनाया जा सकता है.
कैसे समझें रत्न को है रीस्टार्ट की जरूरत
रत्न के रंग का फीका पड़ना या रंग बदलना- एमेथिस्ट, पुखराज, नीलम, गुलाब क्वार्ट्ज, नीला बेरिल, स्पोड्यूमिन आदि जैसे रत्न समय के साथ अपना वास्तविक रंग खो देते हैं. कई बार धूप, रसायनों (साबुन, डिटर्जेंट, परफ्यूम) और आग आदि के संपर्क में आने से भी रत्नों का रंग फीका या धुंधला पड़ जाता है. ऐसी स्थिति में आप अपने रत्न को बदल सकते हैं.
रत्नों में टूट-फूट होना- खरोंच लगने, कठोर रसायनों के संपर्क में आने, घर्षण या दैनिक काम-काज के बीच अगर रत्न टूट-फूट जाते हैं तो ऐसा रत्न बिल्कुल धारण न करें. क्षतिग्रस्त रत्न पहनने से जीवन पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है.
प्रभावशीलता में कमी- रत्नों की एक्सपाइरी डेट नहीं होती है. लेकिन रत्नों में ऊर्जा जरूर होती है. समय के साथ रत्न अपनी ऊर्जा और प्रभावशीलता खो देते हैं. इसलिए रत्न धारण करने के निरंतर लाभों को प्राप्त करने के लिए पुराने रत्नों को बदलकर नया रत्न धारण करना बेहतर होता है.
रत्नों को बदलने का अनुमानित समय
वैसे तो रत्नों की कोई एक्सपाइरी डेट नहीं होती है. लेकिन फिर भी आप अपने पुराने रत्नों को बदलने के समय का एक अनुमान लगा सकते हैं, जोकि इस प्रकार है-
- डायमंड- 10-12 वर्ष
- माणिक्य और नीलम - 8 से 10 वर्ष
- पन्ना- अधिकतम 5 से 8 वर्ष
- कोरल, कैट्स आई और हेसोन्टी- अधिकतम 5 वर्ष और न्यूनतम 3 वर्ष
- प्राकृतिक मोती- अधिकतम 5 से 8 वर्ष
- अर्ध-कीमती रत्नों - अधिकतम 3 से 4 वर्ष
रत्न को री-स्टार्ट करने की विधि
रत्न को विश्राम दें- अगर आप लंबे समय से रत्न पहन रहे हैं और उसका असर नहीं दिख रहा है, तो सबसे पहले उसे कुछ समय के लिए उतार दें. इसके बाद रत्न को एक साफ लाल या सफेद कपड़े में लपेटकर किसी पवित्र स्थान पर रखें. इसे एक दिन तक बिना छुए रहने दें. यह प्रक्रिया रत्न में जमा निष्क्रिय ऊर्जा को समाप्त करती है.
रत्न की शुद्धि करें- अगले दिन सुबह स्नान के बाद रत्न को शुद्ध करें. इसके लिए एक छोटे तांबे या चांदी के पात्र में गंगाजल, कच्चा दूध, शहद और तुलसी के कुछ पत्ते मिलाएं. रत्न को कुछ मिनट के लिए इस मिश्रण में डुबोकर रखें. यह रत्न की भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की शुद्धि करता है. इसके बाद साफ सूती कपड़े से धीरे-धीरे पोंछ लें.
मंत्र से पुनः ऊर्जावान करें- रत्न की ऊर्जा पुनः जाग्रत करने के लिए संबंधित ग्रह का बीज मंत्र 108 बार जपना चाहिए. मंत्र जप के बाद रत्न को अपने इष्टदेव के सामने रखें और उनका आशीर्वाद लें.
माणिक (सूर्य) - ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
मोती (चंद्र) - ॐ सोमाय नमः
मूंगा (मंगल) - ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
पन्ना (बुध) - ॐ बुं बुधाय नमः
पुखराज (गुरु) – "ॐ बृं बृहस्पतये नमः
हीरा (शुक्र) - ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
नीलम (शनि)- ॐ शं शनैश्चराय नमः
शुभ समय में फिर से धारण करें- रत्न को शुद्ध करने के बाद शुभ मुहूर्त में उसे धारण करें. जैसे- रविवार को माणिक्य, सोमवार को मोती, मंगलवार को मूंगा, बुधवार को पन्ना आदि.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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